
आयो फागुन आयो,
माघ पूनम ,डांडो होली को,
गाढ़ो रे गाढ़ो….
वासंती पुरवइया के
संग,
फागुन की गर्माहट,
शीतल जल को पीबणू,
भायो रे भायो…
पूनम की होली का फेरा,
हार -कंकण , मिठाई, गुजिया,
बनाओ रे बनाओ…
होलिका को दहन,
प्रहलाद की भक्ति का गुण,
सब गाओ रे गाओ…
गोबर का वैढ़या की माला ,
गोबर का उपला संग,
कपूर की आरती से
होली का डांडा जलाओ रे जलाओ…
होलिका की अग्नि में
गेहूं की बाली पकाओ ,
प्रदूषण मुक्ति को वचन
निभाओ रे निभाओ…
होली का फेरा लगाओ ,
रंग गुलाल लगाओ
पिचकारी से रंग उड़ाओ,
वैमनस्यता मिटाओ रे मिटाओ…
हिल -मिल खूब रंग खेलो,
आपस की रंजिश मिटाओ,
धुलेंडी, रंग पंचमी मनाओ,
मन को मेल कराओ ,
फागुन के रंगों में रंग जाओ रे जाओ…
आयो फागुन आयो
रंग जाओ रे रंग जाओ…….
शब्द बोध में मुझे स्थान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
शब्द बोध का विस्तृत होता स्वरुप, उच्चस्तरीय लेखन विभिन्न विधाओं से युक्त सामग्री अत्यंत ही रोचक