
अन्तर्द्वन्द में उठे सवाल हैं
हिलौरे ऐसे ले रहे हैं
सवालों से घिरा मन है
जबाव कहीं मिलते नहीं
सवाल जो अनछुए से
गहरी कश्ती में डूबे से
जबाव ऐसे मिले
जो पार लगा दे
सवालों से घिरा ये मन है
मन क्यों बैचेन है
मन ही नहीं ये
सवालों से घिर सी गई जिंदगी है
सवाल ही सवाल थे
जबाव कहीं ना थे
रह गए अधूरे ख्वाब
सवाल मन में दबे रह गए
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