जिन्दगी

ए जिन्दगी तू

ए जिन्दगी तू जरा हंसकर जीना सीखा दे,
हसरतें भर जाए असीम ऐसा कोई पाठ पढ़ा दे।
कमियों का पुतला जान इंसान को सही राह दिखा दे,
इंसा का इंसा से रहे प्यार का रिश्ता ये भाव जगा दे।
ए जिन्दगी…………।

बैर भाव ना हो किसी से ऐसी बेमिसाल जगह बता दे,
प्यार की असीम बरसात से जीवन की बागिया महका दे।
ना भागना पड़े धन दौलत के पीछे ऐसे भाव जगा दे,
अंतर्मन के भाव को शुद्धता से भर जीवन साकार बना दे।
ए जिन्दगी………..।

जीवन बस पल दो पल का है इसे हंसकर जीना सीखा दे,
गमों की परछाई भी ना पड़े ऐसा खुशहाल जीवन बना दे।
देने के भाव में समाहित है असीम खुशियां जग को बता दे,
स्नेह, सम्मान, परोपकार जैसे भाव से मानव मन भर दे।
ए जिन्दगी……….।

आया है वह जाएगा गम ना कर यह बात समझा दे,
समय एक सा नहीं रहता मानव को धीरज बंधा दे।
दीन दुखी की सहायतार्थ जीवन समर्पण का भाव जगा दे,
सद्कर्मों का फल मीठा होता है सोचना सीखा दे।
ए जिन्दगी…………।

ए जिन्दगी तू जरा हंसकर जीना सीखा दे!

कहानियां भी पढ़ें : लघुकथा

Image by Pexels from Pixabay

शेयर करें
About डॉ. रेखा मंडलोई ' गंगा ' 6 Articles
डॉ. रेखा मंडलोई इंदौर
0 0 votes
लेख की रेटिंग
Subscribe
Notify of
guest

0 टिप्पणियां
Inline Feedbacks
View all comments