
कब मिलेगा इंसाफ
कब तक रुलाती रहेंगी सड़क
सड़क सुरक्षा के लिए,
बनाई गई एक तस्वीर।
जो देखी नहीं गई,
कहीं ओर ,जहाँ नजर डालो।
बस एक खौफ, कुचलती गाड़ियां, रौंदते लोग,
तस्वीर साफ,एक एक्सीडेंट,
अनजाना या जाना पहचाना।
निकल लिए, फँस जायेंगे,
हो गये फरार, यही सोच यही विचार,
कोई सुरक्षित नहीं आज।
भागती दौड़ती जिंदगी,
एक सफर के लिए तैयार,
करें सफर,पर सुरक्षित रहे,
ना हो कोई परेशान,
आराम से कटे सफर,
किसी बात की जल्दी नहीं,
बच जाये इंसान, यही इंसाफ, स्वयं से निर्णय कर,ले संकल्प,
चला जा रहा हूँ, सफर पर,
घर वापस आने के लिए।
जिये जा रहा हूँ, घर चलाने के लिए, ना कुचला जाऊं मैं ,
किसी को रुलाने के लिए,
लौटूँगा मैं घर, एक सुबह, आने के लिए, इंतजार करता परिवार।
इक प्यारी सी मुस्कान, पाने के लिए, जिये जा रहा हूँ, जीवन की गाड़ी चलाने के लिए।
कब मिलेगा इंसाफ
कब तक रुलाती रहेंगी सड़क ।
Photo by Lucian Alexe on Unsplash