कब सोचा था

कब सोचा था

कब सोचा था जिंदगी इतनी थम जायेगी
न ऑफीस होगा, न बाजार होगा
दिन रात बस घर में, मैं और मेरा परिवार होगा

कब सोचा था मानव इतना लाचार होगा
न अपनों से मेल, न दोस्तों से मुलाकात
सुबह-शाम बस:-रामायण, महाभारत व समाचार का आधार होगा

कब सोचा था गाँव-शहर , मोहल्ला इतना सुनसान होगा
न शादी विवाह के पकवान, न पार्टियों कि धूम
दोपहर-शाम सिर्फ:- दाल, रोटी व अचार होगा

कब सोचा था बस सिर्फ पक्षियों कि चिल-चिलाहट व उनका राग-दरबार होगा
मत घबराओ दोस्तों : शासन प्रशासन ,डाक्टर, पुलिस है न
यह सोच लो जल्द हि कोरोना महामारी का अंत व

पुन: देश में खुशहाली का त्योहार होगा

Photo by Erik Mclean on Unsplash

और कवितायेँ पढें : शब्दबोध काव्यांजलि

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About हरिवल्लभ शास्त्री 2 Articles
कामर्स व्याख्याता एच. ओ. डी. , सरदार वल्लभ भाई पटेल कालेज मंडलेश्वर। पुर्व अध्यक्ष- नार्मदीय ब्राम्हण समाज महेश्वर। उपाध्याय -देवी श्री अहिल्या क्लब महेश्वर। शास्त्री कामर्स होम महेश्वर जी.खरगोन
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