
कुंडलियाँ छंद का प्रारंभ दोहे से होता है । दोहा एक एवं दो रोला का समावेश होता है । दोहा का अंतिम चरण रोला का प्रथम चरण होता है । कुंडलियाँ छंद में जिस शब्द या वाक्यांश से दोहे की शुरुआत हो अंत भी उसी से होना आवश्यक है।
1
कोरोना ने छीन लिया, दुनिया का सुख-चैन।
कुपित हुई नियती लगे, मनुज डरे दिन रैन।
मनुज डरे दिन-रैन, किसे दोषी ठहराए।
बढ़े धरा पर पाप, उसी का फल ये पाए।
करो सुरक्षा आप, छोड़ कर रोना-धोना
होगा एक दिन साफ, रोग जो है कोरोना।।
2
कोरोना के ख़ौफ़ में, है आधा संसार।
घर बैठे हम सोचते, हो इसका प्रतिकार।
हो इसका प्रतिकार, लौट आए खुशहाली।
फैला सघन प्रकोप, अमंगल छाँया काली।
लड़ना है यह जंग, छोड़कर रोना- धोना।
हारेगा यह रोग, नाम जिसका कोरोना।।
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