कुंडलियाँ

कुंडलियाँ

कुंडलियाँ छंद का प्रारंभ दोहे से होता है । दोहा एक एवं दो रोला का समावेश होता है । दोहा का अंतिम चरण रोला का प्रथम चरण होता है । कुंडलियाँ छंद में जिस शब्द या वाक्यांश से दोहे की शुरुआत हो अंत भी उसी से होना आवश्यक है।

1

कोरोना ने छीन लिया, दुनिया का सुख-चैन।
कुपित हुई नियती लगे, मनुज डरे दिन रैन।
मनुज डरे दिन-रैन, किसे दोषी ठहराए।
बढ़े धरा पर पाप, उसी का फल ये पाए।
करो सुरक्षा आप, छोड़ कर रोना-धोना
होगा एक दिन साफ, रोग जो है कोरोना।।

2

कोरोना के ख़ौफ़ में, है आधा संसार।
घर बैठे हम सोचते, हो इसका प्रतिकार।
हो इसका प्रतिकार, लौट आए खुशहाली।
फैला सघन प्रकोप, अमंगल छाँया काली।
लड़ना है यह जंग, छोड़कर रोना- धोना।
हारेगा यह रोग, नाम जिसका कोरोना।।

कहानियाँ भी पढ़िए : लघुकथा

Photo by Nicolas Messifet on Unsplash

शेयर करें
About आरती डोंगरे 2 Articles
श्रीमती आरती डोंगरे, खरगोन (म .प्र.) शिक्षा--B.sc. , M.A., B.ed. विधा-गद्य एवम काव्य दोनों विधाओं में सृजन व्यवसाय-व्याख्याता (शा.हायर सेकंडरी स्कूल) दो ग़ज़ल संग्रह , दो कविता संग्रह एवम गीत संग्रह प्रकाशनार्थ काव्यमेध, सृजन फुलवारी,एवम प्रसंग साझा संकलन प्रकाशित।
0 0 votes
लेख की रेटिंग
Subscribe
Notify of
guest

0 टिप्पणियां
Inline Feedbacks
View all comments