
गुरु बिना ज्ञान ना जग में मिल पाता
गुरु ही शिष्य का जीवन खुशहाल बनाता
गुरु स्वर्ग के सिंहासन में नजर आता
बिन गुरु की आज्ञा ईश्वर भी चल नही पाता
जग में दो गुरु शुक्राचार्य बृहस्पति कहलाए
देव के बृहस्पति दानव के शुक्राचार्य कहलाए
गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा माना जाता
बिना गुरु के आज्ञा कोई कार्य न किया जाता
सप्त ऋषि सात तारों में आज भी जगमगाते
अपना अस्तित्व आसमां में स्थान बनाकर बताते
गुरु की महिमा बड़ी निराली दे आशीष देव
हाथ जोड़े करें स्तुति गुणगान गाए दुनिया सारी
गुरु कर्म गति को टाल भक्तों का मान बढ़ाते
हर विपदा से इंसान को गुरु ही बचाते
मिले जो आशीष गुरु का जीवन सफल हो जाए
जन्म मृत्यु पाप पुण्य से मुक्त गुरू ही करवाए
गुरु ने भक्तों को ज्ञान दे भक्ति का मान बढ़ाया
भक्तों के संकट खुद पर ले सुखी संसार दिखाया
गुरु बिना ज्ञान गंगा बिन स्नान पूरा ना हो पाए
गुरु चरणों में लीन सत्कर्म से मुक्ति मिल पाए।
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