जीवन एक बंगला

जीवन बना एक बंगला

जीवन बना एक बंगला,
साँचे में ढाल, चित्त चेतना
सद्कर्म लगा कर लोहा,
राम-नाम, सजाया जंगला।

सत की ईट, ज्ञान की रेती,
घोल प्रेम सीमेंट है लगाई,
हरि नाम बनाई करनी,
इंगला, पिंगला की गेंती।

सुमरिन की करी तराई,
भजनों से दीवार बनाई,
मालाजप के बने दरवाजे,
ध्यान ज्ञान छत ये छवाई।

नेकी केसर की है पुताई,
दीपमाला मन की सजाई,
गुरु नाम का तोरण बाँधा,
आनंद से मूरत सजाई।

कंचन रूपा का परकोटा,
मनोरंग से डाली रंगोली
देह की आरती सजाकर,
ब्रम्ह नाद से लौ लगाई।

जीवन बना एक बंगला !

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About सुषमा शर्मा 6 Articles
श्रीमती सुषमा शर्मा, इंदौर शिक्षा: ओल्ड, जी, डी, सी कॉलेज से स्नातकोत्तर। विधा: लघुकथा लेखन, कहानी, संस्मरण ,कविता आदि, समाचार पत्र में कविता प्रकाशित उपलब्धि: आकाशवाणी भोपाल से 20 वर्ष मालवी लोक गीत गाए व 10 वर्ष तक अवधी भाषा में भी गाए व कई पुरस्कार प्राप्त किए व मंच पर भी कई कार्यक्रम भी दिए। सिलाई -प्रशिक्षण से डिप्लोमा कर, बी.एच.इ .एल .भोपाल की ( वेलफेयर विंग संस्था) में गरीब बच्चों के लिए कपड़े सिल कर बच्चों में निशुल्क बाँटे । मेरी रूचि:संगीत व गायन व साहित्य से भी बहुत लगाव है। अध्यात्म से लगाव है।
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Damini pagate
Damini pagate
2 years ago

👌👌👌👌

प्रवीणा पगार
प्रवीणा पगार
2 years ago

बहुत सुंदर