जोकर का दर्द

जोकर का दर्द

शीर्षक: जोकर का दर्द

दुनिया में सबसे मुश्किल काम है,

अपने आप को आकार दे पाना।
चित्रकार खुद को ही तराशने में,

तल्लीन निहारता है बस आयना।
अपने दर्द की लकीरों को यूं देख,
मुश्किल है वैसा ही उकेर पाना।


पर जोकर का जीवन तो है बस,
लोगों के लिए खुशियां तलाशना।
जानता है कि मुझे लोगों के चेहरे,

पर हंसी लाने की करनी है कल्पना।
ऐसे भावों की बनाना है तस्वीर,
खुशियों का मिल जाए खजाना।


कूची को दिए बिना विराम नित,
अपने आप ही करनी है साधना।
जितना हास्यास्पद बन करता है,

नित नई असाधारण वो कल्पना।
उतना ही गहराई से झेलता है,

दुख दर्द की असहनीय वेदना।
ना हो दुनिया में कोई दुखी सब,

मानव मन में जागे यही संवेदना।
जोकर के दर्द को हम सब समझे,
और सम्मान की भर ले भावना।

और कहानियां पढ़ें : लघुकथा

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About डॉ. रेखा मंडलोई ' गंगा ' 6 Articles
डॉ. रेखा मंडलोई इंदौर
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