
झरने की झंकार सुन
अनमने पेड़ झूम जाते
वीरान वादियों में
खुश हो लहराते
झरने कल कल यू बहते
पर्वतों को चीर राह चुन लेते
अपनी मौज में बहते
बरखा में रौद्र रूप ले लेते
झरनों की झंकार निराली
गुनगुनाए वो धुन मतवाली
पाषाण भी मुस्कुराए
गाए गीत जगत को सुनाएं
पत्थरों के बीच झरने
अस्तित्व रख पाते
चलते रहना जिंदगी है
यह इंसान को दिखाते
झरने की झंकार निराली
गीत गाए सुने दुनिया सारी
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