
प्रभु से है प्रार्थना सब अच्छा हो,
हृदय से है भावना सब अच्छा हो।
श्वास प्रश्वास ना रुके कभी,
हनुमत हरे दुःख दर्द सभी,
नित करूँ आराधना सब अच्छा हो,
स्वीकारों प्रभु प्रार्थना सब अच्छा हो।
कैसा मौत का बवंडर है यह,
बहुत भयावह मंजर है यह,
सूने शहर गलियारों में तमस की यातना,
दया करो सुन लो याचना सब अच्छा हो।
मानवता हो अब जागृत,
पर पीड़ा हरने हो सजग,
क्या अपने क्या पराए माधव सबमें समाए,
मंगलमई है कामना सब अच्छा हो।
प्रकृति को बहुत रुलाया,
जल वायु को दूषित बनाया,
करें हम सब मिलकर उपचार,
क्षमा करो रोको ये हाहाकार,सब अच्छा हो।
अश्रु बन गये सैलाब,
बढ़ता जाता हृदय ताप,
करूणा पिघल रही दीनानाथ,
क्षम्य करो सारे अपराध सब अच्छा हो।
और कहानियाँ भी पढ़िए : लघुकथा