
नारी हो तो नारीत्व का सम्मान करो तुम,
नए सवेरे का आगाज करो अब आगाज़ करो तुम
फूल बनकर देख लिया
तुम्हारे आंचल पर हाथ डालने मात्र से भस्म हो जाए
लोग जन के लिए ऐसी आग बनो तुम,
मौन रहकर तो लोगो के ताने रोक न सकी तुम ,
जवाब न हो जिनका किसी के पास अब ऐसे अल्फाज़ बनो तुम
आगे बढ़ने वाले कदम तो बनना ही है तुम्हें ,
पर जरूरत आने पर सागर लांघ जाओ ऐसी अब छलांग बनो तुम,
बेटी बनो बहन बनो पत्नी बनो माँ भी बनो ,
कतरा कतरा जोड़ कर जिस आत्मसम्मान को बनाया उसकी ढाल बनो तुम,
नारी हों तो नारीत्व का सम्मान बनो तुम।