
पिता — संबल और विश्वास
उष्णता मे शीतलता का एहसास,,
प्रतिकुलता मे आत्मविश्वास जगाते,,,
अनुकूलता मे स्वावलंबन का पाठ पढा़ते,,,,
हृदय की विषमता को हरने
स्नेह से मुझे गले लगाते,
पिता –मरूथल मे जलरुपी
आशा की किरण,,,,
स्वप्नदेश मे वास्तविकता से अवगत कराते,
पिता*–स्वप्न हमारे साकार करने स्वकर्मठ बन,सुखद निद्रा हमें सुलाते,,,
कुछ कठोर,
पाषाण से प्रतीत होते, हृदय से तो
गंगानीर से निर्मल होते,
पिता–एक सुरक्षात्मक एहसास,,,
दृढता की अभिव्यक्ति,,,
धैर्य औ गंभीरता की प्रतिमूर्ति,,,
संयम, निष्ठा, कर्तव्यपूरित,,,
जीवन ही उनकी सफलता की है कुंजी,,,
अभिव्यक्त कैसे करुं शब्दों में,
पापा आप अवर्णनीय, अकथनीय, अशब्दनीय हैं–
मेरे पिता*मेरे हृदय मे, विचारों मे,,आत्मा में वंदनीय है