
कल रात फिर से वो मेरे सपने में आया ,
आया तो कई बार ,पर कल उसने मुझे बहुत तड़पाया।
जानती हूँ, तुम्हें पाना मेरे लिये नामुमकिन हैं।
बार बार तुम्हें देखकर, तुम्हें पाने की मेरी चाहत बढ़ती जाती है।
मुझे हर बार कहते हो, तुम मुझे पाने इच्छा तो करो,
मुझे पाना इतना भी मुश्किल नहीं है।
मैं आज भी तुम्हारे दिल में कही छुपा बैठा हूँ।
तुम मुझे पाने की बस एक ,बस एक कोशिश तो करो,
कहते है ना, ”यदि तुम दिल से किसी को चाहो तो ,उसे पाने में कायनात भी तुम्हारा साथ देगी”।
पर सच सच बताना क्या तुम भी मुझे पाना चाहते हो ?
क्यों नहीं? मैं सिर्फ़ तुम्हें ही नहीं, तुम जैसी कइयों के जीवन में फिर से आना चाहता हूँ।
पर क्या उम्र के इस पड़ाव पर आकर तुम्हें पाना मुझे शोभा देगा?
मेरे बालों में आ रही सफ़ेदी,चेहरे पर आ रही सिलवटें,
दाँत भी कुछ कुछ जबाब दे रहे है।
लोग क्या कहेंगे?
तुम इस बात की फ़िक्र ना करो, कहने दो जो भी कहेंगे।
अब तो बच्चें भी बड़े हो गये है,मैं दादी भी बन गई हूँ,
तुम इस बात की चिंता ना करो,मैं हूँ ना तुम्हारे साथ ,
बस तुम फिर से खुल कर खिलखिलाओ, कभी जानबूझ कर कुछ नादानियाँ करो।
अपने जीवन में तुम जो ना कर पाई अब खुश होकर करो, “क्योंकि ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा।”
देखो, मैं तुम्हारे कितने पास हूँ। बस तुम्हें मेरे होने का अहसास भर करना हैं।
मैंने भी हँस कर जबाब दिया, यदि तुम्हें भी मुझे पाने की इतनी चाहत थी, तो तुमने मुझे उम्र के उस दौर में क्यों पहुँचाया कि तुम कहीं खो गये।
मैं आगे बढ़ती गई बढ़ती गई और तुम पीछे छूट गये।
ऐ मेरे नादान बचपन, बस तुम एकबार आ जाओ मेरे जीवन में,
देखो अब तो मेरे बाबूजी और माँ भी मुझे छोड़कर चले गये,
मेरे प्यारे भाई,बहन भी बड़े हो गये। हम सब अपनी दुनिया में रम गये।
पर हाँ मैं इतना ज़रूर जानती हूँ कि मेरी तरह ही,
हम सब तुम्हें फिर से पाना चाहते हैं, फिर से जी भर कर तुम्हें जीना चाहते है।
हम सबके प्यारे बचपन, फिर से लौट कर आ जाओ हमारे जीवन में।