
— फ़ितरत —
इक मुलाक़ात में यों ऐतबार ना कीजिए,
रब्त यों न बनते चंद पलों में ,ज़रा ठहरिये
चाहत रखिये साथ की, थोड़ा सोचिये
इमदाद की मोहताज़ नहीं ज़िंदगी ज़रा गौर कीजिए
मशगूल इश्क़ में, रूँह का सौदा ना कीजिए
फ़कत दिखावे का ही नहीं, ज़रा फ़ितरत का भी अंदाज़ा लीजिये
इक ही तो जिंदगी हैं, झूठी दिल्लगी में न बिगाड़िये
सहज कर रखिये अपनी नायाब रूँह को,
हुस्न के बाज़ार में ख़ुद को गुमराह न कीजिए
सिर्फ़ सूरत का ही नही, सीरत का भी माप लीजिये
इक ही तो ज़िंदगी हैं, धैर्य से काम लीजिये
इत्मीनान से सोचिये, फ़िर हाथ आगे कीजिए।
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