
बारिश की चंद बूंदें क्या गिरी,
मौसम खुशनुमा कर गई
मन मचल गया भीगकर
हर दिल जवां कर गई।
अँगड़ाईयां लेने लगी ख्वाहिशें,
सर्द मौसम की आड़ में।
मन के समन्दर में चलने को ,
यादों की कश्ती रवां कर गई।
सौंधी-सौंधी खुशबू महका गई जज्बातों को।
ठंडी हवा की सिहरन भी,
तन बदन में तूफ़ां कर गई।
अलसाये हुए ख्वाब जल उठे चिरागों से।
लफ्जों की महफ़िल सजाकर
शायराना जुबां कर गई….
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