
बेटी तुम डरो ना
हिम्मत से आगे बढ़ो ना।
मानव की चीख-पुकार से विचलित हो ना।
उनके रूदन से सहमोना,
प्रण करो,घर में ही कैद रह लो ना।
स्वच्छता का प्रचार प्रसार करो ना।
तन से दूरी क्रोना,दिल से जुड़े रहो ना।
अपनी इच्छाओं को दमित करोना,
क्या हुआ;?गर तुम वहां,हम यहां,
कोरोना रूपी दावानल से जूझ लो ना।
कोलाहल और आपाधापी में शान्त भाव से विचारों ना।
प्रकृति के विनाशक इस दानव को शिकस्त दो ना।
इस वैश्विक युद्ध में सबका सहयोग करोना।
मेरी परम पर एक नजर करोना, मां की मृत्यु, मां से दूरी कैसे वो सह रही ना।
उसकी हिम्मत को अपनी प्रेरणा बना लो ना।
संघर्ष के। आगे विजय होगी, कोरोना को हर लो ना,
अब पीछे का रुख करो ना।
बेटी तुम डरो ना।।