मगरमच्छ से क्या डरना

मगरमच्छ से क्या डरना

सीख लिया सागर में रहना
मगरमच्छ से क्या डरना
गोता खाकर जाना है
मोती लेकर है भरना

थामी है पतवार हाथ में ,
तूफान से फिर क्यों डरना ।
लहरें राहें रोक रही ,
जिससे हमको है लड़ना ।

सीख लिया सागर में रहना ,
मगर मच्छ से क्या डरना ।

सपने जिसके टूट गये हो ,
दिल टूटे तो क्या डरना ।
जला अँधेरे में इक दीपक ,
शीश उठा कर है हँसना ।

सीख लिया सागर में रहना ,
मगरमच्छ से क्या डरना ।

पँख फैलाये आसमान में ,
बाजों से फिर क्या डरना ।
मंजिल ज्यादा दूर नही ,
तारे लेकर है रखना ।

सीख लिया सागर में रहना ,
मगर मच्छ से क्या डरना ।

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Photo by Maryna Yazbeck on Unsplash

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About मञ्जुला शर्मा 6 Articles
श्रीमति मञ्जुला शर्मा शिक्षा B.A. गृहणी हूँ , पिताजी स्व. श्री बैजनाथ जी जोशी हिंदी साहित्य के व्याख्याता थे मेरी साहित्य में रूचि है कहानी कविताएं लिखना और पढ़ने का शौक है.
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