
सीख लिया सागर में रहना
मगरमच्छ से क्या डरना
गोता खाकर जाना है
मोती लेकर है भरना
थामी है पतवार हाथ में ,
तूफान से फिर क्यों डरना ।
लहरें राहें रोक रही ,
जिससे हमको है लड़ना ।
सीख लिया सागर में रहना ,
मगर मच्छ से क्या डरना ।
सपने जिसके टूट गये हो ,
दिल टूटे तो क्या डरना ।
जला अँधेरे में इक दीपक ,
शीश उठा कर है हँसना ।
सीख लिया सागर में रहना ,
मगरमच्छ से क्या डरना ।
पँख फैलाये आसमान में ,
बाजों से फिर क्या डरना ।
मंजिल ज्यादा दूर नही ,
तारे लेकर है रखना ।
सीख लिया सागर में रहना ,
मगर मच्छ से क्या डरना ।
Photo by Maryna Yazbeck on Unsplash