सकारात्मक सोच

मन तू न होना कभी अधीर

मन तू न होना कभी अधीर ,
संग अपनों के चल रखना थोड़ा धीर।
देख अपनों की खुशियां
हृदय से रहना सदा भगवन के आभारी,
जब आये विपदा तुम पर
कभी न करना रीझ।
कर जोड़ विनती करना
हर लेंगे प्रभु तेरी सब पीर।
बहती नदियां से जीवन मे रखना सदा बहाव
राह में कंकड़ पत्थर
न लाना कभी ठहराव।
प्रकृति से लेते रहना सदा परोपकार की सीख,
रूखी सूखी चाहे पड़े खाना ,
देना न कभी औरों की आँखों में तू नीर।
सदा लबों पर हँसी सजाना,
कभी रोना नहीं देख कर
दूसरों की जागीर।
हँसते मुस्कुराते चलते रहना
जीवन में हो चाहे संकट गंभीर।

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Photo by Miguel Bruna on Unsplash

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श्रीमती प्रवीण पगारे शाजापुर
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