मुस्कान : हाइगा

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‘हाइगा’ लेखन की जापानी विधा है ,जिसमें चित्र को आधार मानकर काव्य की रचना की जाती है।

चलीं ये घर को शाम ढलीं हैं
मेहनत कर फिर रोटी मिलीं हैं
संग सखी के हंसती खिलखिलाती
मिट्टी की सौंधी महक बिखरी हैं

संतुष्टि से भरी ये मुस्कान
कुछ सबक हमकों सीखलाती
धन दौलत सुविधाएं तमाम
ना लाती मुख पर मुस्कान

ये सत्य समझ लें तो कल्याण
भीतर बाहर हो एकसमान
ये दुनिया कुछ पल का मेला
एक दिन सबकों हैं जाना

हंसकर जिये तो जिन्दा है
वरना जिन्दा लाश समान
हर पल को लें सजा संवार
मन को कर लें प्रफुल्लित
जिंदगी को फिर मुस्कुराने दें

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About जयन्ती अखिलेश चतुर्वेदी 17 Articles
नाम--जयन्ती चतुर्वेदी निवास--सनावद , जिला खरगोन शिक्षा--बी एस सी, एम ए हिंदी साहित्य
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