
ओ दूरभाष की सुविधाओं , मुझे मेरी चिट्ठी लौटा दो।
वो छोटो का नमन अभिवादन, वो बड़ो का स्नेहवादन।
बंद लिफापे मे प्रियजन की अनुभुति लौटा दो।…
ओ दूरभाष की सुविधाओं, मुझे मेरी चिट्ठी लौटा दो
वो चिट्ठी का आना, पहले पढ़ने की खींचातानी,
पुरे परीवार को साथ बिठाकर सबको पाती को पढ़़कर सुनाना।
चिट्ठी में लिखे हर शब्द पर दादी दादा ताई ताया और माँ बापु की मुस्कुराहट लौटा दो।
ओ दूरभाष की सुविधाओं, मुझे मेरी चिट्ठी लौटा दो
वो रात में जागकर लिखी चिट्ठी, वो मोतियों से अक्षरो से लिखी चिट्ठी,
वो भावो से भरकर लिखी चिट्ठी, वो प्रेम से लिखी चिट्ठी के जवाब के इंतजार वाली नजरे लौटा दो
ओ दूरभाष की सुविधाओं , मुझे मेरी चिट्ठी लौटा दो।