झरना

मैं झरना हूँ


नित बहना मेरा काम
रोके से ना रूकना है
बहते ही हमेशा रहना है
मैं झरना हूँ

राहें हों उँची नीची
या राहें हों टेढ़ी
मुझको तो उन्हें
पार करके जाना है
झरना कभी पानी का
बन जाऊँ
झरना कभी आँखों
के आँसु का बन जाऊँ
कभी मन के अंदर
दर्द लिए बहता जाऊँ
ऊँची चट्टानों को में पार
कर जाऊँ
हर रूप में मैं झरना
बनकर बहता ही
बस बहता जाऊँ

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Photo by Nathan Anderson on Unsplash


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अनिता शुक्ला
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