
शब्द में ही ओंकार का वास है
हर शब्द में उस ईश्वर का वास है
मंदिर में गुंजित मंत्रों की पावन तान है
शब्द में ही बसती गुरु की अरदास है
शब्द ही जीवन को रसों से रस-धार करे
शब्द ही अलंकारों से हर पल शृंगार करे
शब्द फूलों-सा जीवन को कुसुमित करती
शब्द ही क्षण भर में जीवन राग सुनाती
शब्द में ही करुणा की धार बहे
शब्द में ही भावों की रस-धार बहे
शब्द ही कभी अमृत का पान कराये
शब्द ही विष बन जीवन का संहार कराये
शब्द ही दु:ख-सुख के मौसम बन जाते
शब्द ही गीता बन कर्म का पाठ पढ़ाते
शब्द ही आपस में मेल कराते
शब्द ही लोगों में क्षण भर में बैर कराते
शब्द है तो जीवन की हर अभिव्यक्ति है
शब्द के बिना जीवन बिल्कुल विरक्त है
वेद, पुराण, गीता, कुरान, बाइबिल की शान है
इसमें गुरबानि और पैगम्बर की अजान है
शब्द में ही पांचाली की करुण पुकार है
शब्द में ही सीता का जीवन-परित्याग है
शब्द में ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का सार है
शब्द में ही समाया सतरंगी यह संसार है
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