
विषय: अमलतास
विधा: तांका ५,७,५,७,७
मनमोहक,
पहने पीताम्बर,
अमलतास,
हर पल मुस्काए,
चले सज संवर ।
वृक्ष श्रृंगार,
पहने पीत झूमर,
पुष्प बिछाए,
सहत सूर्य ताप,
झूमे ये अंग अंग।
मौन तपस्वी,
वसुन्धरा वैरागी,
छनती धूप,
मधुरिम मुस्कान,
दें सुखद बयार।
घुलने लगे,
मकरंद श्वासों में,
खड़े राहों में,
विपदाएं झेलते,
दे स्वप्निल झलक।
सुवर्ण रूप,
शुचि आभामंडल,
तन सवांरते,
भरे औषधि गुण,
दे जग को सबक।
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