जय माँ नर्मदे

जय नर्मदा माई

जय माँ नर्मदे
जय माँ नर्मदे, विंध्यवासिनी
जय माँ रेवा हृदयवासिनी!

तुम हो जीवन मोक्ष दायिनी,
आत्म तारिणी पाप नाशिनी,

माँ नर्मदा की है महिमा न्यारी,
माँ तो है हम सब को प्यारी,

अमरकंटक से उद्गम अति पावन ,
धुंआधार की छटा मन भावन,

होशंगाबाद का लगे सुहावना सेठानी घाट
देखते ही बनते हैं ,
यहाँ भक्तों के ठाट।

ऊँकारेश्वर ममलेश्वर सब है तिर्थन ,
मण्डलेश्वर महेश्वर में करते सब कीर्तन,

अहिल्या घाट बना अति सुन्दर,
बाँध लिया हो जैसें यहाँ समन्दर,

माँ नर्मदा का पावन जल,
बहता है सदा कल कल।

नर्मदा जल का हर कंंकर,
बन जाता है शंभु शंकर।

माँ तो है अखण्ड कवाँरी
पर बच्चों का जीवन सवारी,
मांँ की महिमा है इतनी सारी,
जन जन जाये उन पर वारी।

गंगा में नहाने का पुण्य
नर्मदा के दर्शन से है ,

नार्मदीय ब्राह्मण की जननी माँ!
चुका ना पायेगा कभी कर्ज माँ!

नित्य नार्मदीय करे स्मरण,
हम आये हैं, अब तेरी शरण,

कृपा बनी रहे सदा माँ तेरी,
हम संतान शरणागत अब तेरी।

तेरी जय जयकार करें माँ
दो आशीष कल्याण करो माँ!

कलयुग की हो तरन तारणी,
रेवा माँ तुम जगत तारिणी।

रश्मि मोयदे

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Image by Siddharth Kashyap from Pixabay

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