
मुखौटे हटे असली रंग सामने आयें
दूसरों को नहीं हम खुदको पहचाने
हृदय में श्याम समा जायें
सारा संसार बृज नजर आयें
काश, ऐसी होली अबके बरस आयें।
अहंकार का रंग उतर जायें
हृदय स्वच्छ पावन बन जायें
करुणा का भाव मन बस जायें
हृदय भक्ति रस में रंग जायें
काश, ऐसी होली अबके बरस आयें।
ईर्ष्या होली दहन संग जल जायें
जल सा निर्मल मन बन जायें
प्रेम ही प्रेम मन में समा जायें
मन राधा-कृष्ण में लीन हो जायें
काश, ऐसी होली अबके बरस आयें।
घर ही नहीं बाहर भी नारी सुरक्षा पायें
सबकी नजरों में सम्मान पावें
फिर तो धरती मां गर्वित हो मुस्कुरायें
संतानों पर अपना आशीष बरसावें
काश, ऐसी होली अबके बरस आयें।
गगन रंगीन धरा सुगंधित हो जायें
हरियाली ओर छा जायें
फागुन महुवा से महक जायें
बागों में कोयल मीठे स्वर रस छेड़ जायें
काश, ऐसी होली अब के बरस आयें।
व्याधियां लुप्त सब हो जायें
इंसान पीड़ाओं से निजात पायें
बैर छोड़ भाईचारा भारत में फैल जायें
देवता भी स्वर्ग छोड़ धरा को नमन करने आयें
काश, ऐसी होली अब के बरस आयें।
Photo by Divya Agrawal on Unsplash
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