क्या हो तुम

क्या हो तुम

क्या हो तुम …..
रूप तेरा ध्रुवतारा , यौवन है जैसे चाँदनी ,
प्रेम की आशा लगे , कौन है मनमोहिनी ……….
चाल नवयौवना सी है , व्यवहार में परिपक्वता ……….
ऊँची लगे कभी ‘गिरी’ सी ,
बहती लगे कभी सरिता ……….
रूप तेरा ध्रुवतारा , यौवन है
जैसे चाँदनी ……….
बंधन में बँधी-सी लगे , लगे कभी स्वछंदता ……….
उपमाओं की उपमा है तू , या है कोई उपमेयता ……….
रूप तेरा ध्रुवतारा , यौवन है
जैसे चाँदनी ……….
शब्दों का उलझा गीत है , भावों की है या कविता ……….
मन की करूँ सदा तेरे , या कर लूँ कोई मनमानी ……….
रूप तेरा ध्रुवतारा , यौवन है
जैसे चाँदनी ……….

क्या हो तुम

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Image by RÜŞTÜ BOZKUŞ from Pixabay

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About नीरज बवेँ 3 Articles
शिक्षा : एम. एससी. ( भौतिक विज्ञान) , एम. बी. ए. (विपणन) रूची : (१) पढ़ना, (२) लिखना (कविताएँ, लघु कथाएँ जैसे लघु-कथा) (३) यात्रा। कार्य : कारपोरेट क्षेत्र में - टेक्सटाइल। ज्ञात भाषा: निमाड़ी, हिंदी, अंग्रेजी और मारवाड़ी।
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