
शीर्षक : राम ही के गुण गाई
राम की महिमा अथाई,
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
भोर से साँझ भई जग में, सब राम ही के गुण गाई।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
मनु शतरूपा ने जब तप कीन्हा,
खुश होकर ये वर दे दीन्हा।
त्रेता युग में सुत बनकर आऊँ,
वचन ये सिद्ध कराई।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
कनक भवन में रुनझुन डोलत,
तोतारी बोली सबही लुभावत।
मन ही मन दशरथ मुस्कावत,
माता बलि बलि जाई।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
विश्वामित्र का संग धराया,
राक्षसों का तब किया सफाया।
नारी अहिल्या को जब तारी,
सीता को ली परणाई।
रे भाई !!!
राम की महिमा अथाई।
राज्यतिलक की बारी है आई,
विधना को ये नहीं सोहाई।
कुटिल कुचाल के कारण तीनों,
वन में दीये पठाई।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
वन में ऋषियों को सुख दीन्हा,
दुष्टों को मार निर्भय कर दीन्हा।
स्वर्ण मृगा की लालच में सीया ने,
जान की जोखिम उठाई।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
हनुमत, सुग्रीव से करी मिताई,
माता सीता की खोज कराई।
सेतु बनाकर सागर लांघा,
लंका पर किन्ही चढ़ाई।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
रावण मार सिया को लिवाई,
अवध में आये लखन संग भाई।
अवधपुरी में आई दिवाली,
देवन्ह फूल बरसाई।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
भोर से साँझ भई जग में,
सब राम ही के गुण गाई ।
रे भाई!!!
राम की महिमा अथाई।
picture curtsey bhagwan bhajan
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बहट सुंदर रचना भाभी 🙏🙏