साँवरे जब से तुम मेरे मन को भाए

समाए

शीर्षक: समाए

साँवरे जब से तुम मेरे मन को भाए,
मेरी दुनिया सारी तुम्हीं में समाए।

साँवरे जब से तुम मेरे नैनों में समाए,
मेरी आँखों में हर पल तुम्हारे ही नजारे छाये।

साँवरे जब से तेरे चरणों में मन मेरा लगाये,
मेरे चारों धाम वृंदावन कहलाए।

साँवरे जब से जीवन नैया मैंने तेरे हाथों में थमाए,
मेरी भव बाधा टार के तुमने नैया पार लगाए।

मेरे मन मंदिर में जब से राधा कृष्ण बसाए,
मेरा जीवन मरण तेरे श्री चरणों की आस लगाए।

Image by Madhurima Handa from Pixabay

और कवितायेँ पढ़ें : काव्यांजलि

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श्रीमती प्रवीण पगारे शाजापुर
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