ना बेचो अपने स्वाभिमान को

स्वाभिमान

शीर्षक : स्वाभिमान

ना बेचो अपने स्वाभिमान को
भरो उड़ान अपने आसमान को
इसकी उसकी बातों पर
मत कान दो
तुम डटें रहो
अपने इम्तिहान को

फूल कांटे आएंगे हजार
बढ़ते जाना तुम
अपनी मंजिल को
नेक राह पर कदम बढ़ाना
बचे रहो झूठ के जंजाल को

दुख सुख के मेले
होंगे जीवन के सतरंगी
जाल में
ना घबराना कभी
देखकर विपत्ति के
पहाड़ को ।

ना कोसो तुम गीता
और क़ुरान को
लगाम दो तुम
अपनी ज़ुबान को ।

राम रहीम का देश
है प्यारा मेरा
तुम मत बांटो
प्यारे हिंदुस्तान को ।

Photo by Joshua Olsen on Unsplash

और कवितायेँ पढें : शब्दबोध काव्यांजलि

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श्रीमती प्रवीण पगारे शाजापुर
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