
तुम्हारा स्वागतम
तुम दशक तीसरे का हो पहला कदम।
स्वागतम नववर्ष तुम्हारा
स्वागतम।
स्वागतम नववर्ष….
उम्मीदों के लग गये तोरण यहाँ, झालरें आशाओं की है सज गई।
स्वागतम नववर्ष…..
लहरें समंदर की पखारेगी चरण,बूढ़ा हिमालय ताजपोशी को बढ़ा।
स्वागतम नववर्ष…..
अल्पनाएं बन गई विश्वास की,
फूलमालाएं पिरोई प्रेम की।
स्वागतम नबवर्ष…..
ओस की बूंदे है नैनों की खुशी,पलक पात्रों के है दीपक सज गये।
स्वागतम नबवर्ष… .
सारे धर्मो से सजी पूजन की थाल,भावनाओं से भरा टीका करें।
स्वागतम नबवर्ष…..
सारी नदियों के ये पावन नीर को,भर कलश अभिषेक हम तेरा करें।
स्वागतम नववर्ष…..
बागों और उपवन की सारी हरितिमां,मानों महफ़िल की बिछायत बिछ गई।
स्वागतम नववर्ष…..
पवन के झोंकों से मिलकर पल्लवों ने,राग रागिनियों के मानों सुर सजाये।
स्वागतम नबवर्ष…..
भावभीनी मधुर भाषा से सभी हम,
आज अगवानी करें मेहमान की।
स्वागतम नबवर्ष…..
आये हो केवल बरस ही के लिये,है यही विश्वास मिलजुल कर रहें।
स्वागतम नबवर्ष तुम्हारा स्वागतम…
तुम दशक तीसरे का हो पहला कदम।
स्वागतम-स्वागतम
Photo by Varun Tandon on Unsplash
बहुत सुंदर कविता