
शीर्षक: तूफान का अंदेशा
हवाओं में कुछ हलचल है, थोड़े समझदार हो जाइए!!
तूफान आने का अंदेशा है, थोड़े खबरदार हो जाइए!!
बुझ ना जाए बेवक्त कहीं, जलते चिराग इन हवाओं से!!
इल्तिज़ा है सबसे यही कि, थोड़े होशियार हो जाइए!!
हरने आई ये बंद हवाएँ, चैन ओ सुकून जिंदगी का!!
सब कुछ छोड़ के पहले, ख़ुद के पहरेदार हो जाइए!!
उड़ने लगी रंगत देखो, इन कायनाती फ़िज़ाओं की!!
कैद कर के ख़ुद को अब, घर में गुलज़ार हो जाइए!!
अजब है ये जंग जिंदगी की, जीत ना सकते दौड़ के!!
ठहर के अपने मुक़ाम पे, जीत के दावेदार हो जाइए!!
और कवितायेँ पढें : शब्दबोध काव्यांजलि