
—- पुराना एलबम —-
“क्या हुआ दामाद जी नीरजा कैसी है” , रोहिणी ने रोते हुए सिद्धार्थ से पूछा।
“मम्मी- पापा आप बैठिए, नीरजा ठीक है, डॉक्टर ने इंजेक्शन दिया है, सो रही है।”
श्रीकांत ने पूछा “अचानक क्या हो गया सिद्धार्थ जी?”
“सुबह तक तो ठीक थी अचानक से बेहोश हो गई…क्या पहले भी?” – कहते-कहते सिद्धार्थ रुक गया।
“पहले दो बार ऐसा हुआ था बचपन में …मगर उस बात को लंबा अरसा हो गया। ” – श्रीकांत ने मद्धम स्वर में कहा।
“तो इस बात को हमें बताना चाहिए ना, अपनी बीमार बेटी मेरे बेटे के पल्ले बाँध दी।”
सिद्धार्थ की माँ ने रोष में आकर कहा।
“माँ प्लीज चुप हो जाइए। यह वक्त इन बातों का नही है” सिद्धार्थ ने बात काटकर बोला।
“वाह बेटा शादी को 1 महीना भी नही हुआ औऱ तू…” दामिनी ने क्रोधित होकर कहा।
श्रीकांत ने कहा-
“माफ़ कीजिये दामिनी जी, आप ठीक कह रही है, हमें आपको इस बारे में बताना चाहिए था। आज आपके घर में कोई आया था क्या ?”
“नही पापा, आज तो हम नीरजा को पुराने एलबम दिखा रहे थे। हाँ, मगर जैसे ही उसने दिलीप मामा की तस्वीर देखी वह असहज हो गई
और फिर जैसे ही माँ ने बताया वे अगले हफ्ते घर आ रहे हैं…वह बेहोश हो गई।”
सिद्धार्थ ने पूरी बात बताते हुए कहा।
“दिलीप आहूजा…दिल्ली वाले?” श्रीकांत ने खड़े होकर पूछा।
“हाँ ,वह मेरा ममेरा भाई है, आप कैसे जानते हैं?” दामिनी ने पूछा।
“यह वह दरिंदा है जिसने मेरी 9 साल की नीरजा के साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश की थी”
कहते-कहते रोहिणी रो पड़ी।
“मेरे दूर का रिश्तेदार है…एक शादी में उसने यह हरकत की।
भगवान की कृपा रही कि हम सब समय पर पहुँच गए।
वरना अनर्थ हो जाता…”
श्रीकांत भी रो पड़े।
“बस उसे जब भी नीरजा देखती, वह बेहोश हो जाती।”
“पर आपने उसे सजा क्यों नही दिलवाई” सिद्धार्थ ने आवेश में आकर कहा।
“चाहता तो मैं भी था, मगर उसकी पत्नी रिश्ते में मेरी बहन लगती है। उसने अपने बच्चों का वास्ता देकर मुझे रोक दिया।”
तभी सिद्धार्थ ने एलबम निकाला और उसमें से दिलीप की फोटो निकाल कर फाड़ डाली।
दामिनी ने मोबाइल लेकर कॉल लगाया और कहा…
“दिलीप मेरे घर की दहलीज पर अब कभी कदम मत रखना, तेरे जैसे हैवान के लिए मेरे घर में कोई जगह नही।”
श्रीकांत और रोहिणी ने नीरजा को सुरक्षित हाथों में देखकर निश्चिंतता की साँस ली।
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