कोरोना से कहना

कोरोना को ढूंढ

कुछ दिनों से रोज एक अधेड़ व्यक्ति अपने साथ एक झोला लेकर गाँव में घूमता था।

पुलिस की गाड़ी का हॉर्न सुनकर अच्छे अच्छे दुम दबाकर भागते थे।

किन्तु वह व्यक्ति रोज ही किसी गली में, रोड पर मिल जाता था।

कितनी बार उसे डपटा घर जाने को कह मैं आगे निकल जाता था।

आज मैंने सोच लिया था अगर आज दिखा तो पिटाई कर दूंगा और पकड़ कर खुली जेल में बंद कर दूंगा।

तभी मुझे वह दिखा मैंने अपनी गाड़ी रुकवाई मारने के लिए डंडा उठाया ही था की उसकी शक्ल जानी पहचानी लगी ।

अरे ये तो सेठ भागमल है !

अभी कुछ महीनों पहले इनकी पत्नी, बेटा और बहू कोरोना के शिकार हो गये ।

मैंने उन्हें गाड़ी में बिठाया थाने ले गया पानी पिलाया ।

कुछ पूछने से पहले ही उन्होंने मुझे झोला दिया और बोले

“इसमें मेरे घर की चाभी दोनों गाड़ियों की चाभियाँ पास बुक सब है, मैं ये सब कोरोना को देने के लिए लाया हूँ

मैं कब से कोरोना को ढूंढ रहा हूँ मुझे मिल ही नही रहा वह मेरी पत्नी , बेटे बहू को ले गया ।

इंस्पेक्टर साहब अगर आप को मिले तो ये उसे दे देना और उससे मेरा परिवार वापस ले आना,

या उसे कहना मुझे भी उनके पास ले जाये ।”

आज उनकी यह हालत देखकर मेरी आँखों में आँसू आ गये ।

और कहानियाँ भी पढ़िए : लघुकथा

Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay

शेयर करें
About मञ्जुला शर्मा 6 Articles
श्रीमति मञ्जुला शर्मा शिक्षा B.A. गृहणी हूँ , पिताजी स्व. श्री बैजनाथ जी जोशी हिंदी साहित्य के व्याख्याता थे मेरी साहित्य में रूचि है कहानी कविताएं लिखना और पढ़ने का शौक है.
3.5 2 votes
लेख की रेटिंग
Subscribe
Notify of
guest

0 टिप्पणियां
Inline Feedbacks
View all comments