
कितनी मन्नत और जतन के बाद भगवान ने बच्चे का मुँह दिखाया।
कितनी ग़रीबी से बड़ा किया अब बेटा बैंक ऑफिसर है।
बहु पोते सब के साथ जिंदगी का सफर जो बाकी बचा है आराम से कटेगा।
निखिल की मां कि तन्द्रा भंग हुई रिक्शे के रुकने पर तो लगा छोटा सा सफर था,
बेटे के घर से पास है वृद्धाश्रम। फिर इतना लंबा क्यों लगा?
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