ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत

बदलती रीत

शीर्षक-ढहती वर्जनाएं या बदलती रीत

वो उदास थी

मैने पूछा , “अरी! आज तू चहक नहीं रही तो ,मेरा भी मन नहीं लग रहा रसोई में ।”

रसोई के बाहर ,अमरूद के पेड़ पर घोंसले में रहती है मेरी सखी ,नन्हीं सी चिड़िया ।

“मेरा चिड़ा आज मुझे छोड़ कर चला गया” ,,मद्धम स्वर में चिचिया कर बोली ।

“ओह्ह ! लेकिन क्यों ,तुम तो बरसों से साथ थे ,परफेक्ट कपल !! “

“हाँ ,थे, हम परफेक्ट कपल ,,जब तक मैं परम्पराएँ निभाती रही ।”

मुझे हँसी आ गई,,”तुम लोगों की भी परम्पराएँ होती हैं ??”

“क्यों नहीं होतीं ??” वो तुनक कर बोली ।

“हमारी जाति की परम्परा है ,

चिड़ा भोजन लाता है और,

चिड़िया घोंसला बनाती है ,

अंडे देती है ,उन्हें सेती है ,

जब चूज़े बाहर निकल आते हैं ,

तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी चिड़िया की होती है ।”

“उन्हें उड़ान के लिए तैयार करना और उनकी छोटी छोटी भूख का इंतजाम करना भी , चिड़िया का ही काम है ।”

हर आषाढ़ के पहले नया घोंसला बनाती है ,किसी सुरक्षित जगह पर।
जो आँधी पानी को झेल सके ।

“हाँ री ! ये तो मैं भी देख रही हूँ ,लेकिन आज क्या हुआ ?”

“मैंने चिड़े से कहा ,कि अब मैं थकने लगी हूँ ,

इस बार घोंसला बनाने में मेरी मदद कर दो ।

हम भोजन यहीं आसपास ढूँढ लेंगे ।

बस!! इसी बात पर चिड़ा अड़ गया ,,

बोला हमारी जाति की परम्परा है ,,

घोंसला तो तुम्हें ही बनाना चाहिए।”

“मैं चिड़ा होकर तुम्हारी मदद करूँ ??

मेरे संगी साथी क्या सोचेंगे ??

कितनी बदनामी होगी जात बिरादरी में ।”

बहस हुई और वो चला गया ।

कहते कहते वो रो पड़ी और मैं भी ।

दोपहर के काम निपटा कर मैंने रसोई के छज्जे पर छोटी सी टोकरी में रुई और थोड़े तिनके बिछा कर उसका इंतजाम कर दिया है ।

अब नर्म चावल और भीगी रोटी ले जाती है ,और दिन भर मुझे गीत सुनाती है ।

मेरी सखी खुश है ,

मेरा मन भी प्रफुल्लित रहता है ,

थकान नहीं लगती अब सारा दिन परम्पराएँ निभाने में ।

Image by suju-foto from Pixabay

शेयर करें
About वीणा मंडलोई 6 Articles
वीणा मंडलोई शिक्षा - स्नातकोत्तर (वनस्पति शास्त्र) डिप्लोमा -ड्रेस डिजाइनिंग , वोकेशनल ट्रेनिंग-विभिन्न आर्ट्स में । रुचि -हिंदी साहित्य, हस्तशिल्प भावांजली संस्था में सहसचिव के पद पर कार्य करते हुए ,अन्य सामाजिक संगठनों में सक्रिय रूप से भागीदार हूँ । कई सामाजिक समारोह में मंच सज्जा एवं मंच संचालन करती हूँ । कुछ हिंदी पत्र पत्रिकाओ में लेखन प्रकाशित होता रहा है ।
4.5 2 votes
लेख की रेटिंग
Subscribe
Notify of
guest

0 टिप्पणियां
Inline Feedbacks
View all comments