
“देखों सुमि, बाबूजी का कमरा एकदम साफ सुथरा होना चाहिए, उन्हें सबकुछ व्यवस्थित अच्छा लगता हैं”
राहुल लगातार बोले जा रहा था।
इतने में सुमि ने बीच में रोकते हुए कहा
“कल से यहीं सब कर रहीं हूं, सब कुछ ठीक है बाबूजी को कोई परेशानी नहीं होगी, आप इतनी फिक्र ना करें।”
दूसरें दिन बाबूजी के आते ही राहुल, सुमि और नन्हें कुंज ने भी दादा के पैर छुएं।
बाबुजी के लिए रोज नये-नये व्यंजन बनाए जाते, उनकी हर प्रकार से सेवा की जाती,
घर में त्यौहार जैसा माहौल लग रहा था;
परंतु बाबूजी को पता नहीं क्या हो जाता, अक्सर उदास हो जाया करते।
ये देख राहुल और सुमि सोचने लगते की शायद बाबूजी को यहांँ अच्छा नहीं लग रहा होगा।
एक दिन बाबूजी बोले,
“राहुल अब गांव जाऊंगा, बेटा तू मेरा बेग पैक कर देना”।
राहुल ने वैसा ही किया, उसे भी लगा बाबूजी यहांँ रहकर खुश नहीं फिर मैं कैसे रोकूं।
बाबूजी ने सोचा, “देखों मैंने कहा और ये मान गया रुकने के लिए एकबार भी नहीं बोला, शायद ये लोग भी चाहते होंगे कि मैं चला जाऊं।“
दादाजी को तैयार देख कुंज दौड़कर गोद में आकर बैठ गया और बोला
“दादू आप मुझे छोड़कर क्यों जा रहे हों,
प्लीज मत जाओ ना मैं प्रामिस करता हूं
आपकों अब कभी परेशान नहीं करुंगा,
और पढ़ाई भी मन लगाकर करुंगा,
बस आप मत जाओ”
कुंज की बातें सुनकर सबकी आंखें भर आईं, दादाजी आंसू पोछते हुए बोलें
“हां कुंज मैं तो यहीं रहना चाहता हूंँ
पर तेरे पापा मम्मी ने मुझे रोका ही नहीं
उल्टे मेरा तो बैग भी पैक कर दिया।”
“नहीं नहीं बाबूजी आप ऐसा न कहिए” सुमि रोते हुए आगे बोली
“हम तो समझ रहे थे आपको यहाँ अच्छा नहीं लग रहा होगा इसलिए रोकने की हिम्मत नहीं हुई।”
राहुल बाबूजी से लिपटकर बोला
“फिर ऐसी कौन-सी बात है बाबूजी जो आप उदास हो जाया करते।”
“कुछ नहीं बस तेरे बचपन के दिन याद आ जाते,
मैं तुझे ज्यादा सुविधाएँ नहीं दें सका,
फिर भी तूने कभी शिकायत नहीं की।
हमेशा हर हाल में खुश रहा, तेरी मांँ आज तुम सबकों ऐसे देखतीं तो खुशी से फूली न समाती,
तुम सबने मुझे बहुत खुशियां दी , बहुत अच्छा लगा परंतु बेटा मुझे मेहमान की तरह नहीं रहना।
अब से हम सब वैसे ही रहेंगे जैसे मेरे आने के पहले रहते थे
बहू को मेरे लिए अपने में कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं।
मेरे लिए तुम्हारे मन में जो प्रेम है वहीं बहुत हैं।”
बाबूजी संतुष्टि पूर्ण आवाज में बोलें।
Photo by Atul Pandey on Unsplash
जयंती दी, आपके सब्दबोध काफी अच्छे लगे । उम्मीद ऐसी सुंदर रचना आगे भी पड़ने को मिलेगी । धन्यवाद्