उड़ान

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लघु कथा: उड़ान

जब जन्म हुआ उसका तो घर के सदस्यों ने नाक भौंह सिकोड़ी , क्योंकि वह एक लड़की थी।

केवल उसकी माँ थीं, जो कहती मेरे घर लक्ष्मी आई है।

हाँ माँ उसे लक्ष्मी ही कहती।

माँ उसे पढ़ाना चाहती थी, किन्तु सास, ससुर यहाँ तक की पति देव भी कहते इसे ज्यादा पढ़ाकर क्या करना है,

इसे तो पराये घर जाना है।

ये हमारे घर का चिराग थोड़े ही है।

हर बात में उसके साथ भेदभाव था ,लेकिन लक्ष्मी को संबल अपनी माँ से मिलता।

उसकी माँ परिवार की जली कटी सुनती पर लक्ष्मी का साथ पग-पग पर देती।

धीरे-धीरे लक्ष्मी ने परिवार के तिरस्कार के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी। वह खूब मन लगाकर पढ़ती ; हर क्लास में अव्वल आती।

उसने ठान रखा था कि उसे कलेक्टर ही बनना है और एक दिन वह कलेक्टर बन ही गई।

उसकी माँ ने उसके पंखों को उड़ान दी।

आज वह ऊँची उड़ान भर परिवार की सबसे चहेती बन गई।

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Image by Sasin Tipchai from Pixabay

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About जागृति डोंगरे 11 Articles
मैं जागृति श्यामविलास डोंगरे मंडलेश्वर से . पिता --- महादेव प्रसाद चतुर्वेदी माध्या (साहित्यकार) हिन्दी, अंग्रेजी, निमाड़ी मंडलेश्वर शिक्षा --- M. A. हिन्दी साहित्य मैं स्कूल समय से कविताएं लिखती रही हूं , काफी लम्बे समय से लेखन कार्य छूट गया था, अब पुनः शुरू कर दिया । इसके अलावा अच्छी,अच्छी किताबें पढ़ना , कुकिंग का भी शौक है। रंगोली बनाना अच्छा लगता है। कढ़ाई , बुनाई भी बहुत की,अब नहीं करती।
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