
अरे! सीमा आप। बहुत दिनों बाद आना हुआ। क्या बात है आज आपके चेहरे पर चमक दिखाई दे रही है।
सीमा ने मेरे हाथ में शादी का कार्ड थमाते हुए कहा –
“लवेश की शादी है।”
शादी लवेश की… लेकिन लवेश तो…
बीच में ही सीमा ने बात काटते हुए कहा,
“हाँ वो परिवार और समाज के लिए शादी करना चाहता है”।
मैं उनका चेहरा देखती ही रह गई वे बोली जा रही थी।
“मैं मेरे बेटे के घर गई थी जहां वह उस लड़की के साथ चार साल से रह रहा था। मैंने दिल पर पत्थर रखकर उसे माफ़ कर दिया।”
उनकी आँखों में आसूँ थे।
“मैं हार गई अपने बेटे के आगे।”
मैं अवाक सा उनका चेहरा देखती जा रही थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं।
कैसे एक माँ बच्चों के लिए दुनिया से लड़ सकती है, बच्चों से नहीं।