
“मनु ये क्या कर रही है, क्यों आंगन में चावल बिखरा रही है” – नानी ने कहा।
मनु बोली-
“नानी पेड़ पर चिड़िया के छोटे-छोटे बच्चे रहते हैं, उन्हीं के लिए दाने डाल रही हूँ,
मां कहती थी कि चिड़िया को चावल के दाने पसंद आते हैं “
नानी ने कहा – “अच्छा! तुने देखा है उन्हें?”
मनु बोली-
“हाँ नानी, कल उनकी मम्मी बड़ी चिड़िया अपने मुँह में खाना लाई थी, और अपने बच्चों को खिला रही थी”
मनु की बातें अनवरत जारी थी, और नानी भी सुन रही थी।
तभी नानी ने बीच में टोका और कहा- “अरे हाँ हाँ… , पर इतने सारे चावल के दाने?”
“नानी सारा खाना तो बच्चों को खिला देती हैं, पर चिड़िया मम्मी तो भूखी रहती होगी ना
फिर वो क्या खाएगी? उसे भी तो भूख लगती होगी ना” – मनु ने कहा।
नानी मुस्कुरा कर बोली-
“अच्छा इसलिए, ठीक है तू बिखरा दे दाने।”
मनु की बातें सुनकर नानी ने मां के प्रति छोटी सी मनु के हृदय में प्रेम और सुरक्षा का भाव महसूस किया,
आज तक बच्चे के लिए मां को चिंतित होते देखा वात्सल्य भाव से,
पर आज नया अनुभव मिला, बच्चे भी मां के प्रति वात्सल्य रखते हैं।
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