
“नमस्कार भाभीजी बेटे के लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता आया है, आप सुनेंगी तो गदगद हो
जाएगी।
ऐसा रिश्ता किस्मत वालों को मिलता है | आपकी तो आने वाली पीढ़ियों का भी कल्याण हो गया | “
“भाई साहब कुछ बताएँगे या यूँ ही भूमिका बांधते रहेंगे | लड़की कहाँ तक पढ़ी है ? कहाँ रहती है ? माता पिता कौन हैं ?
निशा ने प्रश्नों की झड़ी लगा दी |
“भाभीजी पढ़ाई तो ए.वन. है , एम्. बी. ए. किया है अमेरिका से | अमेरिका में ही परवरिश हुई भारतीय मूल की है |
“अच्छा वह अपने देख लौटना चाहती है” निशा ने शांत लहजे में कहा |
“नहीं भाभीजी! आपके बेटे को एन.आर.आई. बनने का सुनहरा मौका मिल रहा है, लोग तरसते है एन.आर.आई. बनने के लिए | “
“बस भाभीजी एक छोटी सी शर्त है”
“लड़की २ महीने भारत में आपके घर रहेगी, बच्चे साथ घूमेंगे-फिरेंगे | और अगर दोनों को रिश्ता जम गया तो कोर्ट मैरिज कर देंगे”
“वीज़ा बनवा कर अमेरिका बुलवा लेगी | और आप चिंता मत करना लड़की के पिता अपने व्यापार में ही साथ कर लेंगे | “
निशा स्तब्ध !
“भाभीजी वहां सेट होते ही , आपको भी बुलाने का प्रयास किया जाएगा | “
निशा के मुँह से बोल नहीं फूट रहे थे, कानों में शब्द हथौड़ों की आवाज़ की तरह गूँज रहे थे |
नेत्रों से अविरल धरा बाह रही थी मनोमष्तिष्क में एक ही प्रश्न उमड़ घुमड़ रहा था |
“क्या दूसरे देशों में इतना सुख है की हम जननी को और जन्मस्थल को छोड़ कर वहां के निवासी बनने को लालचित है |
हमने संतान को दूसरे देशों की उन्नति के लिए जन्म दिया है| “