
भव्य सरकारी बंगला मेहमानों से भरा था…
छोटे फूफाजी एक्टिवा की चाबी मांग रहे थे|
उन्हें अपने पुराने मित्रों को गुड्डी के शादी का निमंत्रण देने बायपास पर जाना था |
उच्च पुलिस अधिकारी ठाकुर साहब को पता चला तो उन्होंने बाहर खड़ी सरकारी जीप के ड्राइवर को बुलाकर कहा…
कंवर साहब को ले जाओ और इंस्ट्रक्शन देते हुए कहा…
“ध्यान रखना दोस्तों की महफिल में अगर ज्यादा हो जाए तो तुरंत घर वापस ले आना।”
राहुल पिछले कुछ दिनों से भाग दौड़ में लगा है, आखिर उसकी छोटी बहन की शादी जो है…
अभी अपने मित्र के साथ शेरवानी पर पहनने के लिए जूतियां लेने गया है…
शहर का प्रतिष्ठित सुनार गहनों की डिलीवरी देने आया था, और सेंटर टेबल पर हार, कंगन, चूड़ियों की नुमाइश कर के गया।
कंगन की हेरिटेज डिजाइन कितनी मुश्किल से प्राप्त हुई यह बड़ी बुआ को विस्तार पूर्वक बता रहा था…
बड़ी बुआ-फूफा, मझली बुआ-फूफा, छोटी बुआ, मौसी-मौसा ठाकुर साहब, मैडम ड्राइंग रूम में बैठे गहने देख रहे थे |
हंसी मजाक ठीठोली चल रही थी, ठाकुर साहब की बुलंद हंसी की आवाजें आ रही थी…
इस बीच एक कोने में कुर्सी पर गुड्डी गुमसुम सी बैठी थी|
लग नहीं रहा था की यही दुल्हन है और दो दिन बाद इस की डोली उठने वाली है…
तभी शहर के प्रतिष्ठित बुटीक से लड़का गुड्डी के शादी का जोड़ा लेकर आया|
छोटी बुआ ने लाल सुर्ख लहंगा-चोली, चुन्नी को दीवान पर बिछाया,
सभी लहंगे चुन्नी को देख उसकी तारीफ में कसीदे पढ़ रहे थे भाभी के चॉइस के गुणगान हो रहे थे…
लाल सुर्ख शादी के जोड़े को देख अब तक गुमसुम बैठी गुड्डी के सब्र का बांध टूट गया…
और लहंगे को उठाकर दूर फेंकते हुए जोर से चिल्लाई…
“मुझे नहीं करना यह शादी”
हंसी ठिठोली का वातावरण अचानक तनावपूर्ण हो गया… सभी सन्न रह गए…
अचानक ठाकुर साहब बेडरूम से अपनी बगैर कारतूसों की सर्विस रिवाल्वर लेकर आए…
अपनी कनपटी पर रखते हुए बोले…
“अगर यह शादी नहीं होगी तो मेरी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी, मुझे जिंदा रहने का कोई हक नहीं”
बड़ी बुआ ने तुरंत उठ कर भाई का हाथ पकड़ा और रिवाल्वर छीनकर अपने हाथ में कसकर पकड़ ली।
तभी मां गश खाकर गिर पड़ी… मौसी उसे उठाकर अंदर ले गई…
छोटी बुआ ने बडी बुआ से कहा…
“अच्छा यह चक्कर है, इसलिए गुड्डी गुमसुम है”
बीच वाली बुआ ने कहा भाभी ने मुझे कुछ बताया ही नहीं |
हमें तो आज पता चला…
बड़ी बुआ बोली…
“भाभी किसी को कुछ समझे तब ना”
“अफसर भैया है… और अफसरी भाभी दिखाती है”
तभी किसी मोहल्ले में किराने की दुकान चलाने वाले कम पढ़े लिखे बडे फूफा बोले…
“इंजीनियर है तो क्या, है तो दूसरी जात का”
अब तक चुप मौसाजी बोल पड़े…
“लड़का अच्छा था मेरा परिचित भी है”
तभी बाहर आते मौसी ने सुना और पति को आंखों से चुप रहने का इशारा किया।
बीच वाले फूफा बोले दूसरी जात का है तो क्या हुआ…
“कलचर्ड फैमिली है,
माता-पिता दोनों शहर के प्रतिष्ठित डॉक्टर है,
लड़का इंजीनियर है, बचपन से गुड्डी के साथ पढ़ा है,
दोनों ने एक ही विषय में इंजीनियरिंग की है
उसके माता-पिता को भी गुड्डी पसंद थी ।
जीजा जी को अपने ठाकुरो वाली लगी रहती है ना।
“आप तो चुप रहो जी, मझली बुआ बोली…
भाभी किसी की सुने तब ना…
करेगी अपने मन की ही”
तभी छोटी बुआ और मछली बुआ गुड्डी को अंदर बेडरूम में समझाने के लिए लेकर गई…
दो दिन बाद भोपाल से बारात आई… बारातियों का भव्य स्वागत हुआ…
घोड़ी तक को पूजा गया…
सिर्फ गुड्डी की इच्छा का दमन हो गया…
अभी अभी गुड्डी को लेकर बारात विदा हुई…
बस के ओझल होते ही सभी ने सुकून की सांस ली…
आखिर समझौता तो गुड्डी को ही करना पड़ा।
Photo by Qazi Ikram Ul Haq from Pexels
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शानदार
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