
घर की सफ़ाई करते हुए सोचने लगी, अरे ये क्या? इस घर की धूल भी मुझसे कितना प्यार करती है।रोज रोज मेरे द्वारा झाड़ने के बाद भी उसके कुछ अंश बेशर्मी से अपने स्थान पर आकर जम ही जाते है।
आज सुबह सुबह मेरी बाल सखा चंदा का फ़ोन आया।
बातों बातों में मैंने उससे उसके हाल चाल पूछे तो उसने जबाब दिया,
कुछ नहीं यार रोज सुबह “उठ चंदा वही काम-धंधा” से बोर हो गई हूँ।
याने सालों साल से रोज़ रोज़ घर के वही के वही काम करके।
यह सुन कर मेरे मन में विचार आया कि मेरी बाल सखी और मेरे जैसी कई बहनों की भी अक्सर यही आम शिकायत रहती है
रोज़ रोज़ घर के वही के वही काम करके बोरियत सी महसूस होने लगती है।
खैर, कुछ देर उससे बातें करके मैं भी अपने रोज़मर्रा के काम निपटाने लगी।
काम करते हुए मैं सोचने लगी कि जब यह परिवार,
यह घर मुझे अपनी जान से प्यारा है तो फिर भला घर के कामों में बोरियत क्यों महसूस होती है?
इस प्रश्न से मैंने घर के काम एक नई सोच के साथ निपटाने का सोचा।
घर की सफ़ाई करते हुए सोचने लगी, अरे ये क्या?
इस घर की धूल भी मुझसे कितना प्यार करती है।
रोज रोज मेरे द्वारा झाड़ने के बाद भी उसके कुछ अंश बेशर्मी से अपने स्थान पर आकर जम ही जाते है।
फिर किचन में साफ़ किये हुए बर्तन जमाते हुए ख़्याल आया,
इन थाली-कटोरियों ने इतने सालो तक मेरा कितने प्यार से साथ निभाया है।
इनमें मैंने कभी दाल रोटी और खिचड़ी आदि खाई है तो कभी पूरण पोली और खीर खाई है।
पर इन्होंने मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं की।
तो फिर मुझे इनकी सफ़ाई करते समय शिकायत क्यों?
अपनी अलमारी की सफ़ाई करने के लिये ज्यों ही मैंने उसे खोला तो उसमें रखे हुए कपड़ों पर मेरी नज़र गई
और उनसे जुड़ी हुई एक एक मीठी यादें मेरे ज़हन में आ गयी।
इन कपड़ों के साथ मैंने कितने तीज त्योहार मनायें है।
अपनी शादी से लेकर बच्चों के होने पर, उनके जन्मदिनों, उनकी शादी आदि आदि की मधुर स्मृतियाँ मेरी यादों में कौंध गई
और मैं बड़े प्यार से उन कपड़ों को सहलाते हुए जमाने लगी।
इन्होंने मुझसे कभी कोई शिकायत नहीं की तो मुझे इन्हें सहेजने में शिकायत क्यों?
अपने घर के बगीचे को देखकर मैं सोचने लगी
इसके एक एक पेड़ पौधे को मैंने अपने बच्चों जैसे पाला है, उन्हें खाद पानी दिया है।
ये मुझे इतनी खुशी देते हैं तो इनसे मैं कभी बोर हो ही नहीं सकती।
भला अपने बच्चों से भी कोई बोर होता है?
अपने घर की एक एक वस्तु को देखने का आज मेरा नज़रिया बदल चुका था।
मैंने प्यार भरी नज़रों से अपने घर की एक एक वस्तु को देखा।
इस घर की एक एक चीज़ मैंने बाज़ार से कितनी चीजों को नापसंद करने के बाद पसंद करके ख़रीदी है
और अपने इस प्यारे घर को सजाया है।
मुझे इनसे कोई शिकायत हो ही नही सकती।
और मैं अपने प्यारे से घर को संवारते हुए गुनगुनाने लगी
“मेरे पिया का घर है ये रानी हूँ मैं रानी हूँ घर की”।
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