दहाड़ता मौन

चरित्रहीन दहाड़ता मौन

शीर्षक: चरित्रहीन

“मैडमजी आप मेरा साथ दोगे ना”?

“आप तो कुछ भी नहीं बोल रहे हो मैडमजी”?

छुटकी की माँ ने मानसी मैडम को बार बार पूछा,

पर वह पलकें उठाकर देख लेती,

फिर अपनी टेबल पर रखे रजिस्टर में कुछ काम की जानकारी खोजने लग जाती।

मानसी ने ऑफिस के सारे काम निपटाकर बड़े हाॅल में लगे सीसीटीवी कैमरे की दो दिन पूरानी फूटेज देखी।

दबी सी चीख निकल गई उसके मुँह से,

सज्जनता की मिसाल पेश करने वाला,

महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के भाषण देने वाला बाॅस का खास आदमी,

ऑफिस की सबसे छोटी कर्मचारी से भद्दी हरकत कर सकता है ?

यकीन नहीं हो रहा उसे।

अगले दिन छुटकी फिर आईं कहने लगीं

“बहुत बुरे हैं वो सर उन्होंने मुझे हॉल की झाड़ू लगाने का बोलकर रोक लिया

फिर अकेली पाकर,,,,,,,

वो तो अच्छा हुआ आप अचानक आ गई और सर वहाँ से निकल ही गये “

“मैं थाने जाउंगी देखना”

मानसी मैडम मौन होकर सुनती रही और छुटकी नाराज होकर सीधे पुलिस थाने चली गई।

पुलिस के आते ही बॉस का शागिर्द चीखने लगा ।

“क्यों रे छोकरी मेरी अच्छाई का ये सिला दिया तूने, चरित्रहीन कहीं की!”

छुटकी रो रही थी।

अचानक मानसी मैडम ने सीसीटीवी की सेव फुटेज सबके सामने दिखा दिए।

बाॅस ने चपरासी की ओर शिकायत भरी नज़रों से देखा, वो कैमरे बंद करना भूल‌ गया था।

मानसी ने एक मासूम को आज चरित्रहीन का लेबल लगने से बचा लिया।

और कहानियां पढ़ें : लघुकथा

Image by Pexels from Pixabay

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About मंजुला दुबे 3 Articles
श्रीमती मंजुला दुबे शा शिक्षक (अंग्रेजी साहित्य) महेश्वर
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