
शीर्षक : छल
आज लड़के वाले रूपल को देखने आने वाले थे, पढ़ी लिखी रूपल आकर्षक नैन नक्श वाली मध्यम वर्ग की थी ।
लड़के वाले भी मध्यम वर्ग से थे , लड़का भी स्मार्ट और मल्टीनेशनल कम्पनी में इंजीनियर था।
रूपल ने अपनी सबसे पक्की सहेली निमिषा को सब बता दिया था।
दोनो साथ साथ ही बड़ी हुई और साथ ही पढ़ी थी।
निमिषा भी उत्सुक थी; लड़के को देखने के लिए की रूपल को कैसा हमसफ़र मिलेगा ।
नियत समय पर लड़का अपनी बहन व माता-पिता के साथ आया।
आवभगत की गई ।
प्यारी सी रूपल कुणाल के घरवालों को भा गई।
परिवार की सरलता से सब प्रभावित हो हुए।
जल्द ही जवाब देने का आश्वासन देकर वो लोग चले गए ।
रूपल का परिवार आश्वस्त था , उनके व्यवहार और स्वभाव से की रूपल उन्हें पसन्द आ ही जाएगी ।
फिर भी वो उनके पक्के जवाब की राह देख रहे थे।
पांच सात दिनों बाद जवाब आया,
किसी रिश्तेदार के हाथ कि,
रिश्ता नही हो सकेगा ।
क्योंकि लड़की किसी ओर लड़के को चाहती है, ऐसा उन्हें मालूम हुआ है ।
रूपल और उसके मम्मी पापा बात सुनकर सन्न रह गए कि ऐसी गलत अफ़वाह किसने उड़ाई ।
दो माह बाद ही निमिषा अपने शादी का निमंत्रण पत्र रूपल को देने आई ।
वर का नाम कुणाल देखकर रूपल चौक गई ।
ये वही लड़का था; जो उसे देखने आया था।
उसका सिर घूमने लगा।
उसे समझ में आ गया था की उसके साथ छल हुआ है।
निमिषा धीरे से वहाँ से विजयी भाव से निकल पड़ी ।
रास्ते में वह सोच रही थी ,अच्छा हुआ जो वह कुणाल को बहकाने में सफल हो गई ।
नही तो उसके जैसा लड़का आज रूपल का हमसफ़र होता।
उसने कुणाल से मिलकर अपनी मीठी बातों से आकर्षित कर कुणाल के मन में शक पैदा कर दिया ।
कुणाल ने कुछ दिनों बाद कुछ सोचकर निमिषा को प्रपोज़ कर दिया था।
निमिषा लगातार उसके सम्पर्क में रहने लगी थी ।
उसके तो मन की हो गई थी। यही तो वह चाहती थी।
कुणाल जैसे स्मार्ट और इंजीनियर लड़के को देखकर ही उसे रूपल के भाग्य से ईर्ष्या होने लगी थी,
तभी उसने अपनी चाल चल दी थी।
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