
शीर्षक: हाथी से दाँत
आज बाजार में सब्जी खरीदते समय मेरी कॉलेज की सहेली सुदर्शना मिल गई।
इतने सालों के बाद एक दूसरे को देख कर हम दोनों बहुत खुश हुए। उसने पूछा तुम यहाँ कैसे ?
तो मैंने बताया मेरे पति का स्थानांतरण अभी दो महीने पहले ही यहाँ हुआ है ,मेरे पति सिंचाई विभाग में अधिकारी हैं ।
वह मुझे अपने घर ले गई।
हम लोग पुरानी बातों में मशगूल हो गए बातों के दौरान उसने बताया कि पतिदेव अपने व्यवसाय में व्यस्त रहते हैं , तो मैं समाज सेवा का कार्य करती हूं कई जगहों पर मुझे बुलाया जाता है|
और वह मुझे समाचार पत्रों में प्रकाशित अपने फोटो और अपने भाषणों के विडियो दिखाने लगी।
उसके जनसंख्या नियंत्रण और बेटी बेटा एक समान विषय पर दिये गए भाषण बहुत प्रभावशाली लगे।
मैंने कहा तुम अभी भी वैसी ही हो जैसी कॉलेज के समय थी ।
आदर्शवादी विचारों वाली वही ओजस्वी वाणी ।
सामाजिक और देश की समस्याओं को लेकर चिंतित रहने वाली। अपने आप को ऐसे ही बनाए रखना।
मैंने उसे बधाई दी और कहा कि अब मैं चलती हूँ| तभी उसके बच्चे स्कूल से आ गए|
मैंने देखा उसकी छः बेटियाँ हैं मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ
मैंने पूछा कि ऐसा क्यों, तो वह बोली शायद अबकी बार बेटा आ जाए।
मैं अनमने मन से अपने घर की ओर चल दी।
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