जीवन या मृत्यु

जीवन या मृत्यु

शीर्षक: जीवन या मृत्यु

कल रात से माँ से वीडियो कॉल पर बात की तभी से मन द्रवित है, साहिल व उसकी पत्नी स्वाति और बहन समीक्षा बार-बार डॉक्टर को फोन करते ,परंतु फोन रिसीव नहीं हो रहा था।

माँ की डबडबाई सुर्ख आंखें और नर्वस चेहरा आंखों के आगे घूम रहा था माँ के शब्द कान में गूंज रहे थे,

‘मुझे डिस्चार्ज कब तक करेंगे? मुझे यहाँ नहीं रहना मुझे घर ले जाओ’

आसपास के बेड के मरीजों की मौत की खबरें सुनकर माँ घबरा गई होगी।

यह सोच कर परिवार उन्हें ढाढस बंधवा रहा था, परंतु माँ ने रट पकड़ ली, ‘मुझे ले जाओ’|

हॉस्पिटल में स्टोरॉइड, ऑक्सीजन एवं रेमडीसिविर इंजेक्शन लग रहे हैं।

जिसकी पूर्ति में साहिल ने दिन रात एक कर दिए यहाँ तक कि रेमडीसिविर इंजेक्शन के लिए एक कंपनी के लड़के से 20-20 हजार में 2 इंजेक्शन का इंतजाम किया|

उसमें भी जब नर्स ने एक लगा दिया और दूसरा डॉक्टर जब लगाने लगे तो उन्हें सील टूटी हुई दिखी और उन्होंने बताया कि यह नकली है|

इसमें नमक और शक्कर का घोल भरा है|

तभी साहिल अंदर तक कॉप गया मां को शुगर और ब्लड प्रेशर है और अब नकली इंजेक्शन लग गया है अब क्या होगा?

समीक्षा ने सुना तो मानो पैरों के नीचे जमीन खिसक गई |

(आवेश में एफ.आई.आर. दर्ज कराने के लिए थाने जाने के लिए कार की चाबी उठाई )।

परंतु स्वाति ने रोक कर समझाया कि यह समय सिस्टम से लड़ने का नहीं है|

माँ को हॉस्पिटल से कैसे डिस्चार्ज करें? यह सोचने का है |

समीक्षा तैश में आकर बोली “भाभी प्रशासन ऐसे अपराधियों को पनपने कैसे देता है?”

“हमें हॉस्पिटल जाने के लिए आईडी कार्ड दिखाना पड़ता है और दूसरी तरफ अपराधी तत्व इस महामारी प्रलयकारी बीमारी में भी कालाबाजारी, जमाखोरी व नकली दवाओं का उत्पादन व बेच रहा है”

“धिक्कार है मानव रूप में दानव प्रवृत्ति वाले दुष्ट व्यक्तियों का जिनका लक्ष्य लाशों का व्यापार करना ही”

अकस्मात ही साहिल के मोबाइल की घंटी बजी|

साहिल ने झटके से फोन उठाया और स्पीकर पर कर दिया ताकि समीक्षा और स्वाति भी सुन सकें|

हॉस्पिटल से कॉल था

“आपकी माताजी की आंखों में लाली आ रही थी जांच कराने से पता चला कि ब्लैक फंगस है |”

“ऑपरेशन से आंखें निकालनी होंगी, आपको फॉर्म भरना है।”

समीक्षा धम्म से जमीन पर बैठ गई।

स्वाति के मुख से शब्द नहीं निकल रहे थे|

होठ सूख रहे थे |

कैसे बहन भाई को इस मुश्किल की घड़ी में आश्वासन दे?

वह बमुश्किल से साहिल और समीक्षा से बोल पाई “ईश्वर से प्रार्थना करें।”

साहिल एकटक शून्य में प्रलयकारी दृश्य की वीभत्सा देखे जा रहा था।

समीक्षा ने एक पल भाभी की और देखा और रूंधे गले से पूछा

“क्या प्रार्थना करनी है?”

“माँ के जीवन की या मृत्यु की?”

Photo by Greg Rakozy on Unsplash

और कहानियाँ पढ़ें : कथांजलि

शेयर करें
About डॉ संगीता कालरा (डिंपल) 5 Articles
डॉक्टर संगीता कालरा( डिंपल) एमके एच एस कन्या महाविद्यालय में हिंदी विभाग में सहायक प्राध्यापक पद पर कार्यरत है। डॉक्टर संगीता कालरा लेखन कार्य में एवं पढ़ाई के क्षेत्र में अधिक रुचि लेती है इसके अलावा संगीत एवं खेल में भी रुचि रखती है।
0 0 votes
लेख की रेटिंग
Subscribe
Notify of
guest

0 टिप्पणियां
Inline Feedbacks
View all comments