मज़बूरी

alone

खन्ना के घर पर गहरा सन्नाटा छाया हुआ था |

एक दम हष्ट पुष्ट दिखने वाले खन्ना जी को अचानक कोरोना वाइरस ने अपने चपेटे मे ले लिया ।

परिवार के सभी सदस्य भय के प्रकोप से उनके पास आने से कतरा रहे थे।

स्टोर रूम में उनके रहने का इंतेज़ाम कर दिया गया ।

उनका हम दर्द, एक मात्र सहारा झबरु कुत्ता अपने स्वामी के साथ उसी कमरे में रहने लगा |

तभी पड़ोस की बूढ़ी अम्मा मुँह पर कपड़ा बाँधे पत्नी से बोली ——“अरे ! कोई इसके पास दूर से खाना ही सरका दो —-

वे अस्पताल वाले तो इसे भूखे को ही ले जायेंगे उठाके —|

बहुओं ने खाना सास को पकड़ा दिया । पत्नी ने कंप कंपाते हाथ से थाली पकड़ी |

इतना देख कर बूढी़ अम्मा बोली ——“अरी ! तेरा तो पति है तू भी —– मुँह बाँधके चली जा और दूर से थाली सरका दे वो अपने आप उठाकर खा लेगा “

ये सारी बातें खन्ना जी सुन रहे थे। उनकी आँखें नम थी और काँपते होठों से कहा –

“कोई मेरे पास न आये तो अच्छा है मुझे भूख भी नहीं है।”

ये परिवार की मज़बूरी थी या अवहेलना ।

Photo by Deleece Cook on Unsplash

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About डॉ. विजया त्रिवेदी 6 Articles
नाम- डॉ. विजया त्रिवेदी शिक्षा- एम.ए. (हिन्दी साहित्य), एम.फिल., पी.एच.डी (हिन्दी साहित्य - लगुकथाओं) विशेष- आकाशवाणी में कम्पेयरिंग, वार्ता, परिचर्चा, यववाणी कार्यक्रम (शिवपरी. म.प्र.) सर्वब्राहमण सहकारी समिति- संचालक शुभांकन पब्लिक स्कूल- उपाध्यक्ष क्षितिज संस्था मंच सदस्य
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Dr Vijaya Trivedi
Dr Vijaya Trivedi
2 years ago

Thanks to publish my short story on your website

Dr Vijaya Trivedi
Dr Vijaya Trivedi
2 years ago

Thanks for everything