मनोकामना

मनोकामना

किशोरवय ‘कामना’ कभी डॉक्टर, कभी एयर होस्टेस, कभी अभिनेत्री तो कभी करोडपति बनने वाली युवतियों ,महिलाओं की आए दिन आने वाली खबरों से प्रेरित होकर वैसा ही बनने के सपने देखने लगी।

ईश्वर ने उसे प्रतिभा सम्पन्न भी बनाया था। स्कूल और कई समुदायों के कई कार्यक्रमों में भाग लेकर अव्वल आना तो उसकी आदत सी हो चली थी। पास पड़ोस, रिश्तेदार भी उसकी सराहना करते नहीं थकते।उसे भी वाहवाही लूटने में आनन्द आता।

अपनी कुशल गृहिणी माँ के रहन सहन को देखकर बड़ी होती कामना यौवन की दहलीज पर खड़ी थी। अब तक वह संसार के कई सारे कटु सत्यों को जान चुकी थी।उसके किशोरावस्था के सपने कुछ धुंधले पड़ने लगे। विवाह के बाद वह दोराहे पर खड़ी थी।

“अपने सपने या अपना कर्तव्य?”

उसे भौतिक समृद्धि पाने की होड़ हर कहीं नज़र आती।अपने देखे सपने और आवश्यकता की सच्चाई के बीच उधेड़बुन करते हुए समय रेत की तरह हाथों से फिसल रहा था।तभी उसके जीवन मे एक नन्हा सा फूल खिला।अब तो उसकी देखरेख ,उसके भले बुरे के विचार के अतिरिक्त जैसे उसकी दुनिया ही नहीं थी। अब उसे अपना लक्ष्य साफ़ दिखाई दे रहा था।

“ईश्वर प्रदत्त इस हीरे को तराशना “

अपने अनुभवों और नित नवीन सीखों से वह इस हीरे को तराशने में मग्न हो गयी।अपने इसी कर्तव्य को उसने सर्वोपरि माना-
जिसके लिये एक नारी का जन्म होता है और ईश्वर उसे दृढ़ता और कोमलता दोनों का अधिक से अधिक वरदान देते है, “मनुष्य की रचना”

Photo by Saad Chaudhry on Unsplash

शेयर करें
About विनीता बर्वे 5 Articles
विनीता विशाल बर्वे बीएससी बायोलॉजी, एम ए अंग्रेजी साहित्य, लेखन और सांस्कृतिक,सामाजिक ,धार्मिक कार्यक्रमो में क्रियाशील पतंजलि प्रमाणित योग शिक्षक धरमपुरी, मध्य प्रदेश
0 0 votes
लेख की रेटिंग
Subscribe
Notify of
guest

0 टिप्पणियां
Inline Feedbacks
View all comments