
जमुना अपने पति के साथ बस में चढ़ी, पति ने खाली सीट देखकर उससे कहा यहां बैठ जा ये सीट खाली है। मैं अभी आता हूं। वह खिड़की के पास बैठ गई।
थोड़ी देर बाद उसका पति फिर आया और बोला “ले हथेली खोल” उसने हथेली खोल दी और उसके पति ने गुटखा खोलकर उसकी हथेली पर उड़ेलते हुए बोला, “खा ले”
उसने गुटखा मुँह में डाल लिया बस चलने में अभी देरी थी। अतः उसका पति फिर से बस से उतर गया | पीछे की सीट पर उसके गांव की परिचित लड़कियाँ बैठी थी। वे यह सब देख रही थीं।
उन्होंने जमुना से मजाक करते हुए पूछा कि – “क्या खिलाया जीजाजी ने” उसने खुश होकर कहा “गुटखा खिलाया” तब सखी हंसकर बोली – “बस दो रू का गुटखा” जमुना ने जवाब दिया- “दो नहीं पाँच रू का था”
अब बस का समय हो गया था उसका पति उसके बगल में आकर बैठ गया | बस चल दी | जमुना खिड़की से बाहर देखने लगी और अपने खयालों में खो गई।
उसकी चमन से दूसरी शादी थी। इससे पहले उसकी शादी शेरू से हुई थी, शेरू शादी के बाद उसके साथ अच्छा व्यवहार करता था। उसे खुश रखता था। उसके परिवार में उसके अलावा उसकी मां भी थी। कुछ महीने बाद जमुना अपनी सास के साथ मजदूरी पर जाने लगी | दिन भर मजदूरी करने के बाद शाम को घर आती और चूल्हे पर रोटी बनाती सास और पति को खिलाने के बाद वह खुद खाती थी ।
समय बीत रहा था। धीरे धीरे उसकी सास और पति उसे परेशान करने लगे। साथ ने अपनी एक थैली बना रखी थी। उसमें वह अपनी कमाई का पैसा और अनाज रख देती थी। भविष्य में वह बीमार होगी या बेटियां आऐंगी उनके लिये । अब मां बेटे को उससे शिकायत होने लगी थीं इसको खाना बनाते नहीं आता । आज किससे बातें कर रही थी।
धीरे धीरे वह रोज शराब पीकर आने लगा और उसे मारने लगा वह दिनभर मजदूरी करके लाती वह पैसा भी उससे छीन लेता था। विरोध करने पर वह उसे मारता था। धीरे धीरे जमुना की सहन करने की शक्ति समाप्त होने लगी। उसने वहां नहीं रहने का फैसला कर लिया ।
एक दिन मौका पाकर वहां से निकल कर बस में बैठकर अपने पिता के घर आ गई।इधर शेरू और उसकी मां ने गांव में खबर फैला दी कि औरत दगाबाज थी भाग गई। जमुना अपने पिता के घर रहकर मजदूरी करके जीवन यापन करने लगी। शेरू को पता था कि औरत भाग कर कहाँ जाएगी ; अतः कुछ दिनों बाद वह अपने रिश्तेदारों को लेकर जमुना के गाँव पहुंच गया|
वह उसके पिता को और उसको गालियाँ देने लगा । यह देखकर गाँव वाले इकट्ठा हो गये सभी ने समझाने की कोशिश की । लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था तब गाँव वालों ने पंचायत बुलाने की सलाह दी ( गांवों में आज भी छोटे छोटे झगड़े पंचायत में निपटा लिये जाते है। वे लोग कोर्ट कचहरी के चक्कर में नहीं पड़ते )
शेरू अपनी पत्नी को ले जाने को तैयार था किन्तु’ ,उसके जीजा ने कहा कि इस औरत को छोड़ दे मैं तुझे दूसरी इससे अच्छी औरत दिला दूँगा । औरत हमेशा पुरूष के हाथों का खिलौना बनती आई है। औरत का अपना कोई वजूद नहीं।
शेरू ने जमुना के पिता से कहा कि तेरी बेटी को मुझे नहीं रखना तू अपनी बेटी को रख और इसके हाथ की रोटी खा | इस तरह वह अपना पैसा वापस लेकर झगड़ा समाप्त करके चला गया । वहां तलाक जैसा शब्द नहीं होता है।इसे वह झगड़ा कहते है। जमुना पिता के घर रह गई।
वह अब परित्यक्ता हो चुकी थी। अतः उसके गांव वाले उस पर नजर रखने लगे। जब वह किसी से हँसकर बात कर लेती तो उसके बारे में अनर्गल बाते करने लगे। परेशान होकर उसके पिता ने विचार किया कि अब इसका नातरा करवा देता हूं। इसे अब अपने पास रखना उचित नहीं ।मुझे इसके बदले पैसा भी मिल जाएगा|
नातरा एक परम्परा है, लड़की का पिता लड़के से पैसा लेकर बेटी का पुनर्विवाह कर देता है | अतः रिश्तेदारों के साथ विचार करके जमुना का चमन के साथ नातरा कर दिया गया। चमन की पत्नी मर चुकी थी।उसकी एक विवाहित बेटी एक पन्द्रह साल का बेटा और एक दस साल की बेटी थी।
जमुना सोच रही थी कि पहले पति ने इतने दुःख दिये है जिन्हें मैं अभी तक भुला नहीं पाई हूं अब यह अधेड़ उम्र का आदमी जो तीन बच्चों का पिता भी है।मेरे साथ कैसा व्यवहार करेगा |
वैसे पुरातन समय से लोगों के मन में सौतेली मां के प्रति अच्छे विचार नहीं होते है। सौतेली माँ चाहे कलेजा निकालकर भी रख दे। वह सौतेली मां ही कहलाती है। पुरूष पुनर्विवाह तो कर लेता है। किन्तु समाज हमेशा उसे शक की नजरों से ही देखता है।
सोचते सोचते उसकी आंख लग गई | अचानक एक झटके के साथ उसकी नींद खुली देखा बस रुक गई थी। उसके पति ने कहा चल उतर अपना गाँव आ गया, वह उतर गई। और चुपचाप उसके पीछे पीछे चल दी |
गांव वालों ने उसे बस से उतरते देखकर कहा – “चमन नातरा करके ले आया”
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